‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता का सदस्य एवं शेयरधारक बनने हेतु आवश्यक नियम व शर्तें
1. ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता की सदस्यता प्राप्त करने हेतु अनुमन्य शर्तेंः
कोई भी 18 वर्ष से उपर की आयु का स्वस्थ मानसिक स्थिति वाला व्यक्ति जो उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपद (किसी भी पर्वतीय जनपद) का स्थायी निवासी हो, किसी भी जाति/समुदाय व धर्म का हो, एवं सहकारिता से सेवायें प्राप्त करने की इच्छा रखता हो, ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता की सदस्यता प्राप्त कर सकता है।
सहकारिता में सदस्यता के इच्छुक व्यक्ति को सहकारिता द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के उपयोग की आवश्यकता हो तथा ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता की नियमावली के अनुसार सदस्य के कर्तब्य व उत्तरदायित्व का निर्वहन करना स्वीकार करने की इच्छा रखता हो।
सदस्यता प्राप्त करने वाले व्यक्ति को लिखित में एक हलफनामा देना होगा कि वह सहकारिता के सिद्वान्तों व स्वायत्त सहकारिता अधिनियम 2003 के अनुसार कार्य करेगा/करेगी। वह भविष्य में कभी सहकारिता के हितों के खिलाफ व्यवहार नहीं करेगा/करेगी।
‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता में जुड़ने के लिए सदस्य को ईमानदार छवि का होना चाहिए, पुलिस अभिलेखों के अनुसार सदस्य अपराधिक प्रकृति का नहीं होना चाहिए और उस पर कोई न्यायालयी मामला दर्ज/ जारी नहीं होना चाहिए।
सदस्यता प्राप्त करने वाला व्यक्ति समूह/ सहकारिता के सदस्यों का विश्वासभंजक न हो।
2. सहकारिता में सदस्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया एवं सदस्यता बनाये रखने की पात्रताः
‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता की सदस्यता के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ दो पासपोर्ट साइज के फोटोग्राफ्स, आधार कार्ड की स्वप्रमाणित छायाप्रति, मोबाईल नम्बर, बैंक पासबुक की छायाप्रति एवं सदस्यता शुल्क रु. 125 (रुपये एक सौ पच्चीस मात्र) जमा करना होगा।
प्रत्येक सदस्य को उसके द्वारा जमा किये गये सदस्यता शुल्क की रसीद उपलब्ध करायी जाएगी। सदस्यता शुल्क प्रत्येक सदस्य द्वारा केवल एक बार ही देय होगा, जो सदस्यता समाप्ति की स्थिति में वापस देय नहीं (Non-Refundable) होगा।
‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता से यदि एक बार किसी व्यक्ति की सदस्यता समाप्त हो चुकी हो, और वह व्यक्ति पुनः नियमों का अनुपालन करते हुए सदस्यता प्राप्त करने की इच्छा रखता हो, तो उसे आवेदन के साथ दो पासपोर्ट साइज के फोटोग्राफ्स, आधार कार्ड की स्वप्रमाणित छायाप्रति, मोबाईल नम्बर, बैंक पासबुक की छायाप्रति एवं सदस्यता शुल्क रु. 125 (रुपये एक सौ पच्चीस मात्र) पुनः जमा करना होगा। शेष शर्तें पूर्ववत ही रहेंगी।
सदस्यता शुल्क केवल सहकारिता द्वारा प्रदत्त सेवाओं का लाभ लेने के लिए मान्य है, अर्थात किसी भी व्यक्ति को सहकारिता द्वारा दी जाने वाली समस्त सेवाओं; जैसे – कृषि उत्पादों के बेहतर उत्पादन हेतु तकनीकी सेवायें, शिक्षा एवं प्रशिक्षण सेवायें, लघु व्यावसायिक ऋण सुविधायें, कृषि व गैर कृषि उत्पादों के मूल्य सम्वर्द्धन एवं विपणन सम्बन्धी सेवायें, रोजगार सेवायें, सामाजिक सेवायें, विभिन्न सरकारी योजनाओं से सम्बन्धित सेवायें, इत्यादि का लाभ लेने के लिए सदस्यता प्राप्त करनी अनिवार्य है। सहकारिता द्वारा संचालित विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों से अर्जित लाभ/ हानि में सदस्य का कोई हक नहीं होगा। लाभांश प्राप्त करने की पात्रता हेतु किसी भी सदस्य को शेयर पूंजी (जिसका उल्लेख Shareholder policy में किया गया है) जमा करनी होगी।
प्रत्येक सदस्य को ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता के सभी अनुबंधों, नियमों एवं कर्तब्यों का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करना होगा। प्रत्येक सदस्य को समय-समय पर सहकारिता बोर्ड द्वारा तय सभी दायित्वों को पूरा करना होगा।
यदि किसी भी सदस्य का मानसिक सन्तुलन बिगड़ चुका हो, सदस्य सहकारिता के प्रति अपने कर्तब्यों एवं दायित्वों का निर्वहन पूर्ण ईमानदारी से न कर रहा हो, सहकारिता नियमावली का उलंघन करता पाया गया हो, पुलिस एवं न्यायालय सम्बन्धी अपराधिक मामलों में संलिप्त पाया गया हो अथवा अन्य विश्वासभंजक गतिविधियों में शामिल हो, तो उक्त दशाओं में सहकारिता के प्रवर्तक/संरक्षक मण्डल को सर्वसहमति से उस सदस्य की सदस्यता समाप्त करने का अधिकार सुरक्षित रहेगा।
‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को अपने सभी पात्र सदस्यों की सूची तैयार करेगी। सहकारिता का निदेशक मण्डल इस सूची को प्रमाणित करेगा व ऐसे सभी सदस्यों को जो अपनी सदस्यता बनाये रखने की पात्रता खो चुके हों, उनको स्पष्टीकरण हेतु एक नोटिस भेजेगा कि वे स्पष्ट करे कि क्यों न उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाय। तदोपरान्त सहकारिता अपने पात्र व अपात्र सदस्यों की प्रमाणित सूची नोटिस बोर्ड में चस्पा करेगी। सदस्यों की पात्रता एवं अपात्रता के विषय में सहकारिता प्रवर्तक सदस्यों एवं निदेषक मण्डल द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
3. ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता से सदस्यता वापस लेने हेतु शर्तेंः
प्रत्येक सदस्य को ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता के सभी अनुबंधों, नियमों एवं कर्तब्यों का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करना होगा।
कोई भी सदस्य अपनी स्वेच्छा से सदस्यता वापस ले सकता है। सदस्य एक आवेदन पत्र के साथ सहकारिता के अध्यक्ष को सूचित करेगा कि वह अपनी सदस्यता वापस लेना चाहता है/चाहती है, जिसे अगली बैठक में आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया जायेगा।
प्रवर्तक/ निदेशक मण्डल बैठक में सर्वसहमति से सहकारिता एवं सदस्य के बीच दायित्वों को ध्यान में रखते हुए सदस्यता वापस लेने की अनुमति, यदि आवश्यक हो तो दे सकता है।
पूर्णतया सदस्यता वापस लेने से पूर्व सदस्य को सहकारिता के प्रति अपनी सभी जिम्मेदारियों, वायदों व दायित्वों से मुक्त होना होगा, जिसके लिए उसे सहकारिता से अदेय प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
सदस्यता वापस लेने की दशा में सदस्य को सदस्यता शुल्क की वापसी नहीं की जाएगी। किन्तु सदस्य द्वारा जमा की गई अन्य धनराषि जैसे – शेयर पूंजी; जिसका उल्लेख आगे Shareholder policy में किया गया है, तय किये गये नियमानुसार वापस की जा सकती है।
4. सहकारिता से सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो जानाः
किसी भी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो जाएगी।
मृत सदस्य द्वारा जमा किया गया सदस्यता शुल्क; उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य को जोड़े जाने पर हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता है। किन्तु सदस्य द्वारा जमा की गई अन्य धनराषि जैसे – शेयर पूंजी उसके परिवार के अन्य सदस्य (जिसे नामित किया गया है) के नाम हस्तान्तरित की जा सकती है। सदस्य द्वारा जमा शेयर पूंजी के अनुसार उसके परिवार के नये सदस्य को लाभांश भी दिया जाएगा।
मृत सदस्य के परिवार का यदि कोई सदस्य सहकारिता से जुड़ना चाहता है, तो वह सदस्यता प्राप्त करने के नियमों का पालन करते हुए सदस्यता शुल्क चुका कर सदस्यता प्राप्त कर सकता है।
5. सदस्यता की बर्खास्तगीः
सहकारिता को धोखा देने या हानि पहुॅचाने वाला कृत्य करने पर किसी भी सदस्य को बर्खास्त किया जा सकता है, इसका अधिकार प्रवर्तक सदस्यों/ निदेशक मण्डल के पास सुरक्षित रहेगा। उक्त हेतु तत्काल बैठक आयोजित कर प्रवर्तक एवं निदेशक मण्डल सदस्यों द्वारा सर्वसहमति से निर्णय लिया जा सकता है।
यदि कोई भी सदस्य सहकारिता के हितों के खिलाफ कार्य करता है या इस तरह हानिप्रद गतिविधियों को पनाह देता है और अवांछनीय कार्य व्यवहार रखता है, तो उस सदस्य की सदस्यता बर्खास्त करने का अधिकार प्रवर्तक सदस्यों/ निदेशक मण्डल के पास सुरक्षित रहेगा।
यदि सहकारिता का सदस्य उसी प्रकृति के व्यवसाय में शामिल हो जो कि ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता भी करती है, और सहकारिता को उसके व्यक्तिगत कार्यों से हानि हो रही हो, तो उस सदस्य की सदस्यता बर्खास्त करने का अधिकार प्रवर्तक सदस्यों/ निदेशक मण्डल के पास सुरक्षित रहेगा।
सहकारिता ऐसे सदस्यों को सूचना भेजकर स्पष्टीकरण का मौका देगी कि क्यों न उनकी सदस्यता बर्खास्त कर दी जाय। नोटिस देने के 15 दिन के भीतर सदस्य द्वारा दिये गये स्पष्टीकरण के आधार पर बोर्ड निर्णय लेगी कि ऐसे सदस्य की सदस्यता सुचारू रखी जाए या नहीं एवं इस निर्णय की सूचना 15 दिन के भीतर सदस्य को दी जानी चाहिए। जो सदस्य बर्खास्त किया जाएगा उसे अपने सभी उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना होगा व सहकारिता को देय अपने सभी बकाया व देनदारी का भुगतान करना होगा।
सहकारिता में यदि किसी सदस्य ने लगातार दो (02) वर्षों तक अपने मताधिकार का प्रयोग न किया हो और लगातार तीन (03) वार्षिक आम सभाओं में प्रतिभाग न किया हो, तो उसकी सदस्यता प्रवर्तक/ निदेशक मण्डल की अगली बैठक में सर्वसहमति से बर्खास्त की जा सकती है।
6. सहकारिता में सदस्यों के कर्तब्य एवं आवश्यक रूप से ली जाने वाली न्यूनतम सेवायेंः
सहकारिता की प्रत्येक वार्षिक आम सभा में नियमित रूप से प्रतिभाग करना।
सहकारिता द्वारा उपलब्ध कराई जा रही न्यूनतम सेवाओं का आवश्यक रूप से उपयोग करना।
अपनी नियमित बचत (यदि लागू हो), लिये गये ऋण एवं ब्याज की किस्तों का समय पर भुगतान करना।
समय-समय पर सहकारिता प्रवर्तक एवं निदेशक मण्डल द्वारा आयोजित विभिन्न आवश्यक बैठकों में सक्रियता से प्रतिभाग करना और सहकारिता के हित व सुनहरे भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने अनमोल सुझाव प्रस्तुत करना।
सहकारिता प्रवर्तक सदस्य/ निदेशक मण्डल द्वारा साधारण सभा में तय किये गये कर्तब्यों का पालन करना।
सहकारिता द्वारा तय किये गये उत्पादन/ विपणन नियोजन व सम्बन्धित अनुबन्धों का पूर्ण निष्ठा से अनुपालन व सम्मान करना।
सहकारिता के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करना और प्रत्येक व्यावसायिक गतिविधि में अपनत्व का भाव रखना।
यदि सहकारिता में किसी भी कार्य एवं व्यावसायिक गतिविधि के संचालन में कोई कमियां दृष्टिगत होती हैं तो आवश्यक सुधार लाने हेतु सहकारिता निदेशक मण्डल सदस्यों से वार्ता कर उन्हें उक्त विषय में अवगत कराना।
प्रत्येक सदस्य को एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम एक हजार (रु.1000 मात्र) का लेन-देन/ कारोबार/ व्यवसाय आवश्यक रूप से करना होगा।
सदस्य द्वारा सहकारिता से यदि कोई ऋण लिया गया है, तो उसके सापेक्ष तय किश्तों (मय ब्याज) का समय पर भुगतान करना होगा। लगातार तीन किश्त जमा न किये जाने पर सदस्य से आर्थिक दण्ड वसूला जाएगा। इसके उपरान्त भी यदि सदस्य द्वारा धनराषि जमा नहीं की जाती है और अवांछनीय वर्ताव किया जाता है, तो सहकारिता सदस्य के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के लिए बाध्य होगी।
7. सहकारिता में सदस्यों के अधिकारः
प्रत्येक सदस्य को सहकारिता द्वारा प्रदत्त सेवाओं का अधिकतम उपयोग करते हुए लाभ प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार है।
प्रत्येक शेयर धारक सदस्य को सहकारिता निदेशक मण्डल कार्यकारिणी के सदस्यों को चुनने का मताधिकार है।
प्रत्येक सदस्य को सहकारिता द्वारा आयोजित सभी बैठकों, शिक्षा व प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने का अधिकार है।
प्रत्येक सदस्य को सहकारिता में अपने निजी खातों अथवा सहयोग/ भागीदारी की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।
कोई भी सदस्य निर्धारित शुल्क अदा कर सहकारिता नियमावली की प्रति प्राप्त कर सकता है। नियमावली की प्रति प्राप्त करने हेतु शुल्क का निर्धारण प्रवर्तक सदस्य एवं सहकारिता निदेशक मण्डल की बैठक में नियमावली में संलग्न पृष्ठों की संख्या के अधार पर सर्वसहमति से तय किया जाऐगा।
प्रत्येक सदस्य को सहकारिता की वार्षिक रिपोर्ट एवं वित्तीय रिर्पोट की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है। उक्त रिपोर्ट्स की प्रति तैयार करने में व्यय राशि का भुगतान सदस्य को स्वयं करना होगा।
यदि सहकारिता लाभ कमाती है, तो सदस्य को वित्तीय वर्ष के दौरान अपने सहयोग व लेन-देन के आधार पर प्रोत्साहन छूट (पेट्रोनेज रिबेट) प्राप्त करने का अधिकार है, किन्तु इसकी प्राथमिकता सहकारिता की आयअर्जक गतिवधियों में अधिकतम सहयोग करने वाले सदस्य को दी जाएगी।
प्रत्येक सदस्य को सहकारिता के कार्य निष्पादन में सुधार लाने हेतु सुझाव एवं संस्तुतियां देने का अधिकार है।
किसी भी शेयरधारक सदस्य को नियमावली के मानदण्डों की सीमा में रहते हुए बोर्ड के चुनाव में उम्मीदवारी का अधिकार है। सामान्य सदस्य यदि उम्मीदवारी रखता है, तो सहकारिता प्रवर्तक व निदेशक मण्डल की अनुमति से उसे नियमानुसार शेयर पूंजी जमा करनी होगी। सहकारिता गठन के उपरान्त प्रवर्तक व निदेशक मण्डल द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के आरम्भ में ही शेयर पूंजी जमा करने के लिए समयसीमा निर्धारित की जाएगी, तय समयसीमा के पश्चात् उसी वित्तीय वर्ष में किसी भी सदस्य से शेयर पूंजी प्राप्त नहीं की जाएगी।
यदि कोई सदस्य या शेयरधारक सदस्य सहकारिता में वार्षिक अनुबन्ध के आधार पर अथवा अंशकालिक रोजगार की चाह रखता है, तो वह अपना लिखित आवेदन प्रस्ताव प्रवर्तक सदस्य या निदेशक मण्डल सदस्यों के समक्ष रख सकता है। प्रवर्तक सदस्यों एवं निदेशक मण्डल कार्यकारिणी की बैठक में उक्त विषय में चर्चा की जाएगी, और सम्भवतः अधिक आवेदन प्राप्त होने की दशा में किसी एक व्यक्ति के चयन हेतु साक्षात्कार भी आयोजित किया जाएगा। इस स्थिति में शेयरधारक सदस्य को सहकारिता से लाभांश के अतिरिक्त उसके द्वारा दी गई सेवाओं का मानदेय भी दिया जाएगा।
प्रत्येक सदस्य को सहकारिता द्वारा प्रदत्त अन्य सभी सुविधाओं को पाने का पूर्ण अधिकार है।